मंगलवार, 21 जून 2016

ग्रहों की मान्यता को पाखंड बताने वाला कोई भी व्यक्ति यदि ज्योतिष पढ़ा हो तो उसे शास्त्रार्थ की खुली चुनौती !

   जिसने ज्योतिष पढ़ी हो उसी से हो सकता है शास्त्रार्थ !और जिसने जिस विषय को पढ़ा ही न हो वो उस विषय को सही या गलत कैसे कह  सकता है ।  
    बिना पढ़े लोग तो सारी दुनियाँ को अपने जैसा ही अनपढ़ समझते हैं इसलिए मुख उठाकर कभी किसी को भी कुछ भी बोल देते हैं ऐसे लोगों से शास्त्रार्थ कर पाना कैसे संभव है किंतु मौन रहने से वो बात सच होती दिखती है जिसमें ज्योतिष की सत्यता पर प्रश्न उठाए गए हैं इसलिए ज्योतिषशास्त्र के गौरव की रक्षा के लिए मैं वो भी करने और सहने को तैयार हूँ !see more... http://khabar.ibnlive.com/news/desh/baba-ramdev-yoga-day-faridabad-nirmal-baba-gemmology-492348.html
     ज्योतिष विषय से जुड़े शास्त्रीय दश प्रश्न वो हमसे करें और उनके विषय से जुड़े शास्त्रीय दश प्रश्न मैं उनसे करूँगा !वो बोलेंगे तो मैं सुनूँगा और मैं बोलूँगा तो वो सुनें !अनावश्यक आरोप प्रत्यारोप न मैं लगाऊँगा न वो लगावें । शास्त्र की मजाक न मैं करूँगा और न ही उन्हें  करने दी जाए !उन्हें ये प्रूफ करना होगा कि वो ग्रहों की मान्यता को पाखण्ड किस आधार पर कहते हैं !मैं ये सिद्ध कर दूँगा कि ग्रह ज्योतिष की मान्यता सौ प्रतिशत सही है । 
      दूसरी बात यदि वो अपने विषय को शास्त्रीय तर्कों के आधार पर शास्त्र सम्मत सिद्ध कर देंगे तो मैं भी ग्रहों की मान्यता को शास्त्रीयप्रमाणों एवं आधुनिक तर्कों के आधार पर न केवल सिद्ध कर दूँगा अपितु जिन  तर्कों और शास्त्रीय प्रमाणों के आधार पर सिद्ध करूँगा उनका शास्त्रीय तर्कों के आधार पर उन्हें खंडन करना चाहिए !यदि ऐसा नहीं है तो शास्त्र मानने से इनकार कर दें वे !
     मेरा मानना है कि शास्त्रों को जो जानता न हो या मानता न हो उसे शास्त्रज्ञों एवं शास्त्रीय मान्यताओं को चुनौती नहीं देनी चाहिए !जो शनि ग्रह या ग्रहों के पृथ्वी पर होने वाले असर को नकारते हैं वे पृथ्वी पर पड़ने वाले चन्द्रमा के प्रभाव  से होने वाले ज्वार भाँटा को कैसे भूल जाते हैं!वो मनुष्य जीवन पर पड़ने वाले ग्रहों नक्षत्रों के प्रभाव को कैसे भूल जाते हैं!ग्रहों और नक्षत्रों के वैज्ञानिक योगदान को कैसे भूल जाते हैं!
    ज्योतिष और ग्रहों के महत्त्व को बड़े बड़े ऋषियों मुनियों महात्माओं मनीषियों ने युग युग से स्वीकार किया है उसे कोई गलत कैसे सिद्ध कर देगा !इतना ही नहीं आज भी भारत सरकार के धन से चलने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय जैसे बड़े विश्वविद्यालयों में ज्योतिष शास्त्र पढ़ाने के डिपार्टमेंट हैं  ज्योतिष का पाठ्यक्रम हैं अन्य विषयों की तरह ही वहाँ से भी परिश्रम पूर्वक अध्ययन करके छात्रगण  ज्योतिषाचार्य(MA) और Ph.D.जैसी डिग्रियाँ प्राप्त करके निकलते हैं जिनके आधार पर भारत सरकार उन्हें नौकरी देती है जिसकी लाखों रूपए महीने सैलरी होती है ये सब  पाखण्ड है क्या? और यदि हाँ तो पराजित होने पर मैं हमेंशा हमेंशा के लिए ज्योतिषशास्त्र संबंधी अपनी डिग्री और प्रमाणपत्र भारत सरकार को वापस कर दूँगा !
                   -निवेदकभवदीय -                                                     राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोधसंस्थान(रजि.)                                                                                                                       ------आचार्यडॉ.शेषनारायण वाजपेयी -------एम. ए.(व्याकरणाचार्य) ,एम. ए.(ज्योतिषाचार्य)-संपूर्णानंद संस्कृत    विश्वविद्यालय वाराणसी
 एम. ए.हिंदी -कानपुर विश्वविद्यालय \
 PGD पत्रकारिता -उदय प्रताप कालेज, वाराणसी
पीएच.डी हिंदी (ज्योतिष)-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU )वाराणसी
K -71 ,छाछी बिल्डिंग, कृष्णा नगर, दिल्ली -110051
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