बुधवार, 21 अक्तूबर 2015

रावण बेचारा अपने माता पिता की एक गलती का दंड भुगत रहा है आज तक !अन्यथा उसमें और कौन कौन से गुण नहीं थे !

  माता पिता की एक गलती से आज तक अपमानित होता है रावण और हर वर्ष जलाया जाता है उसका पुतला !
   अब क्या माता पिताओं को भी नहीं सुधरना चाहिए !बंधुओ !यदि हम स्वयं संस्कारों का पालन नहीं करेंगे तो बच्चों से संस्कारित आचरण की अपेक्षा कैसे रख सकते हैं !रावण के माता पिता की गलती क्या थी जानिए आपभी और ऐसी गलतियाँ होती भी सबसे हैं तभी तो हो रहे हैं बलात्कारी और गायों को खाने वाले बच्चे आखिर हो क्यों रहे हैं यदि हम सब ठीक ही हैं तो !
  मजे की बात तो ये है कि जो प्यार करने के नाम पर बलात्कार तक की हदें लाँघ जाते हैं गउएँ भैंसें गधे घोड़े सब खाकर भी अपने को रावण नहीं मानते हैं किंतु रावण यदि ऐसे लोग नहीं हैं तो फिर वो रावण क्यों था जिसका पुतला फूँकते फिर रही हैं रावणी संस्कृति आचार व्यवहार में जीने वाले लोग ! 
   रावण की निंदा करने और  पुतले जलाने वालों से क्या नहीं होती हैं ऐसी गलतियाँ जो रावण के माता पिता से हुईं क्या वो अपने बच्चों को दे पा रहे हैं सहीं संस्कार !और यदि नहीं तो हमें भी ये नहीं भूलना चाहिए कि हमारे बच्चे भी हो सकते हैं रावण,रावण होने के लिए भी तो बहुत कुछ हासिल करना होता है जो सब के बश की बात नहीं है यदि होती तो आज रावण रावण ही दिखाई देते समाज में !
   श्री राम जैसों को लोग धार्मिक मजबूरियों के कारण पूज तो लेते हैं किंतु उन्हें मानते कितने लोग हैं उनके उपदेशों को आचरणों में कौन उतारता है हर कोई रावणत्व से प्रभावित लग रहा है जो लोग जीवन भर रावण बनने का प्रयास करते रहते  हैं किंतु रावण बनना आसान है क्या ! जब नहीं बन पाते तो ईर्ष्या वश रावण की निंदा करने लगते हैं । इसलिए रावण का पुतला जलाने से कुछ नहीं होगा कुछ करना है तो सुधार अपने और अपने परिवारों से प्रारम्भ कीजिए ।
   रावण ने बलात्कार पूर्वक माता  सीता का हरण तो किया था किन्तु बलात्कार नहीं !किंतु आज तो ढाई ढाई वर्षों की बच्चियों के साथ हो रहे हैं सैकड़ों हजारों बलात्कार !ऐसे भ्रष्ट सामाज का हिस्सा होने के बाद भी हम अपने को तो रामवादी मान रहे हैं यही तो हमारे देश और समाज का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है !
  रावण इतना बड़ा विद्वान था बलवान था तपस्वी था पराक्रमी था इन्हीं सारे गुणों के बलपर विश्व विजयी हुआ था वह किंतु माँ का एक दोष ले डूबा उसे ! आश्चर्य !!माता पिता के अच्छे बुरे संस्कार संतानों में जीवन भर चलते हैं इसलिए मातापिता को अपनी जवानी बहुत सँभल कर बितानी चाहिए !
    गर्भाधान के समय माता पिता के मन में यदि धर्म की भावना होती है तो श्री राम जैसी संताने प्रकट होती हैं और माता पिता यदि काम अर्थात सेक्स भावना से भवित होते तो रावण जैसी संतानें प्रकट होती हैं        श्री राम के माता पिता ने संतान प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ किया था जबकि रावण की माता ने उस काम(सेक्स)पीड़ित होकर किया था गर्भाधान !माता पिता के अच्छे संस्कारों से अच्छी संतानें पैदा होती हैं और बुरे संस्कारों से बुरी !इसमें श्री राम की अच्छाई क्या और रावण की बुराई क्या ? अच्छाई और बुराई के बीज तो माता पिता ने ही बोए थे किंतु माता पिता की एक गलती का फल आज तक भुगत रहा है बेचारा रावण !

       एक बार शाम के समय रावण के पिता जी पूजापाठ संध्यादि नित्य कर्म कर रहे थे।उसी समय रावण की मॉं के मन में पति से संसर्ग  की ईच्छा हुई वह रावण के पिता अर्थात अपने पति विश्रवा ऋषि के पास पहुँची और  उनसे संसर्ग  करने की प्रार्थना करने लगी।यह सुनकर तपस्वी विश्रवाऋषि ने अपनी पत्नी को बहुत समझाया किंतु वह हठ करने लगी अंत में विवश  होकर विश्रवा ऋषि  को  पत्नी की ईच्छा का सम्मान करते हुए उससे संसर्ग करना पड़ा जिससे  वह गर्भवती हो गई । यह समझ कर विश्रवा ऋषि  ने अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा कि देवी मैंने आपको रोका था कि यह आसुरी बेला है। इसमें संसर्ग नहीं करना चाहिए तुम मानी नहीं, अब तुम्हारे इस गर्भ से महान पराक्रमी राक्षस जन्म लेगा हमारा अंश  होने के कारण विद्वान भी होगा।इसी गर्भ से रावण का अवतार हुआ था।
      यह कथा प्रमाणित है। यदि यह बात सही है तो न्याय  यह है कि जब रावण के अवतार से पहले ही उसके राक्षस बनने की भूमिका बन चुकी थी जिसकी मुख्य कारण उसकी माता एवं सहयोगी पिता थे।उस समय रावण तो कहीं था  ही  नहीं  जब उसके राक्षस होने की घोषणा कर दी गई थी। अब कोई बता दे कि बेचारे रावण का दोष क्या था? 

   अपने को देवता मानने वाले पापी कलियुगी बेशर्मों को रावण का पुतला जलाने में उनकी आत्मा उन्हें धिक्कारती क्यों नहीं है?
      सिद्धान्त है कि गर्भाधान के समय माता पिता में जितने प्रतिशत वासना होगी  होने वाली संतान में उतने प्रतिशत रावणत्व होगा और जितने प्रतिशत  उपासना होगी उतने प्रतिशत रामत्व होगा।
      यह बात सबको सोचने की जरूरत है सबको अपने अपने अंदर झॉंकने की जरूरत है कि क्या हमारे बच्चे बासना से नहीं हो रहे हैं ?रावण के सारे बच्चे अपने पिता के इतने आज्ञाकारी थे कि पिता की गलत ईच्छा की बलिबेदी पर बेशक शहीद हो गए किंतु पिता की आज्ञा नहीं टाली। वे सब शिव भक्त और सब पराक्रमी थे सब वेदपाठी थे और सब परिश्रमी थे।
       आज अपने माता पिता को वृद्धाश्रम भेज देने वाले लोग,शिव आदि देवताओं की पूजा से दूर रहने वाले घूसखोर आलसी लोग,रावण ने सीताहरण किया था बलात्कार नहीं, आज के बलात्कारी लोग कहॉं तक कहा जाए लुच्चे टुच्चे छिछोरे घोटालेवाज लोग रावण का पुतला जलाकर उसका क्या बिगाड़ लेंगे  इससे श्रीराम नहीं बन जाएँगे।अगर अपने घरों में धधकती प्रतिशोध की ज्वाला बुझा लो तो भी कल्याण हो सकता है। कुछ नचइया गवइया कथाबाचकों ने हमलोगों की बुद्धि कुंद कर दी है जिससे हम यह सोचने लायक भी नहीं रह गए कि अपने घरों का आचरण खाने पीने से पहिनना ओढ़ना बात व्यवहार आदि में श्रीराम बाद के पास तो नहीं ही रहे नीचता में रावण बाद को भी लॉंघ चुके हैं।
      हमारी भक्तराज रावण पुस्तक में यह विषय डिटेल किया गया है कि आपसे पैसे लूटने के लिए किसी साजिश  के तहत आपके मनों में रावण के पुतले के प्रति घृणा घोली गई है । आज श्रीराम वाद के  द्वारा  अपने एवं अपने परिवारों को सुधारने की जरूरत है !  

   बंधुओ ! आपको पता होगा कि रावण ज्योतिष का बहुत बड़ा पंडित था जिसके आधार पर वो भूत भविष्य वर्तमान जान लिया करता था !किंतु दुर्भाग्य से अनपढ़ लोग बिना कुछ जाने समझे ही रावण से घृणा करने लगे उसकी ज्योतिष आदि विद्वत्ता को समझ नहीं पाए!

    बंधुओ ! मैंने उसी शास्त्रीय ज्योतिष पर BHU (काशीहिन्दू विश्व विद्यालय) से Ph.D.की है !जिसके द्वारा भूत भविष्य का ज्ञान किया जा सकता है यदि आप भी ज्योतिष के द्वारा अपने भविष्य से सम्बंधित कोई जानकारी लेना चाहते हैं तो इस जीमेल पर भेजिए अपनी डिटेल और हमारे यहाँ से भेजे जाने वाले मैसेज को फॉलो कीजिए - Gmail - shastrvigyan@gmail.com    

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