मंगलवार, 24 जून 2014

साईं बाबा के विषय में शंकाराचार्य जी के बयान का विरोध क्यों ?आखिर इस समस्या का स्थाई समाधान क्यों न निकाला जाए !

     शंकाराचार्य जी का दायित्व है कि वो अपनी सनातन धर्मी शास्त्रीय परम्पराओं एवं मठ मंदिरों और धार्मिक प्रतीकों की प्रतिष्ठा बना और बचाकर चलें यदि वो ऐसा कर रहे हैं इसमें किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए ?क्या किसी अन्य धर्म के धर्माचार्य सह जाएँगे अपने धर्म के साथ खिलवाड़ ! यदि नहीं तो सनातन धर्म से ही ऐसी आशा और अपेक्षा क्यों की जाए ?       

        धर्म के विषय में यदि कुछ लोग अपने शाही इमाम की बात को प्रमाण मानते हैं और कुछ लोग अपने  पोप की बात को प्रमाण मानते हैं तो हिन्दू अपने शंकाराचार्य की बात को प्रमाण न मानकर क्या साईं बाबा के चमचों को प्रमाण मान लें जिन्होंने  वेद पढ़े न पुराण और न ही धर्मशास्त्र !जिनका सब कुछ मन गढंत है ऐसे अँगूठाटेक धार्मिक लोग ही बचे हैं अब हमारे धर्म का निर्णय करने को क्या ? 

    जहाँ तक बात साईं बाबा जी की है एक संत और साधक के रूप में उनके सम्मान में कोई समस्या नहीं है किन्तु विरोध उनके भगवान बनाए जाने का है साईं बाबा भी यदि जीवित होते तो इस बात का बुरा उन्हें भी लगता क्योंकि वो भी भक्त थे इसलिए कोई भी भक्त भगवान नहीं बनना चाहता है।

       जो लोग कहते हैं कि ईश्वर को तर्क से नही तय किया जा सकता तो क्या भीड़ का तमाशा दिखाकर तय कर दिया जाएगा हमारा भगवान! अजीब अंधेर है ! या तानाशाही पूर्वक किसी को भी भगवान बना कर थोप दिया जाएगा सनातन धर्मियों पर ! या भगवान भाव में होते हैं यह कह कर हमारे भगवान के निर्णय की बागडोर शराबियों  कबाबियों के हाथ में दे दी जाएगी ! यदि ऐसा हुआ तो कल जिस शराबी को जो बोतल लाकर देगा वो उसमें  भगवान का भाव मान लेगा ! इसीप्रकार से लुटेरे को तमंचे में भगवान के दर्शन होंगे , और आतंकवादी को बारूद में  और कामुक आदमी को वेश्या में भगवान दिखेगा उसी प्रकार से अज्ञानियों और संसारी लोगों में जिसकी जहाँ स्वार्थ पूर्ति होगी उसे उस काम के लिए उसमें भगवान दिखाई देगा किन्तु दिखाई देने और होने में अंतर होता है भगवान का भाव तो किसी के प्रति अपने स्वार्थ के हिसाब से बनाया जा सकता है किन्तु भगवान है इसको प्रमाणित तो वेदों पुराणों से ही किया जा सकता है !

      कब्र का  पूजन  या मर चुके  किसी भी व्यक्ति की पूजा का विधान ही सनातन धर्म में नहीं है क्योंकि मरे हुए व्यक्ति  को भूत कहा जाता है और भूतों की पूजा की सनातन धर्म में निंदा की गई है!यथा -

    दो. जे परिहर हरि हर चरण भजहिं भूतगन घोर । आदि आदि !इसी प्रकार से गीता में भी भगवान श्री कृष्ण ने कहा है-

      यान्ति देवव्रता देवान् पितृन्यान्ति पितृव्रताः |

    भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोपि माम् ||

भावार्थ- देवताओं का पूजन करने वाले मरने के बाद देवताओं को प्राप्त होते हैं ,पितरों का पूजन करने वाले मरने के बाद पितरों को प्राप्त होते हैं और भूत प्रेतों अर्थात मर चुके प्राणियों का पूजन करने वाले लोग उन्हें ही प्राप्त होते हैं परन्तु मेंरा पूजन करने वाले मुझे ही प्राप्त होते हैं !

     विशेष बात ये है कि जब भूत प्रेतों को पूजने वाले भूत प्रेत बनते हैं किन्तु भूत प्रेत बनने के लिए कवीर सूर्योदय में लिखा है कि जिनकी अकाल मृत्यु होती है वे ही भूत  प्रेत होते हैं यथा -

       दो.   अकाल मृत्यु जो कोई मरे जाकर भुगते भूत ।

             जब स्वाँसा  बीतें सभी तब आवें यम दूत ॥

       इसका सीधा सा अर्थ है कि मरने के बाद किसी भी मनुष्य की पूजा नहीं करनी की जानी चाहिए !

       दूसरी बात जो लोग कहते हैं कि भूत प्रेतों की पूजा करने से हमारे काम बन जाते हैं ये भ्रम है गलत बात है वस्तुतः उनके काम भगवान की पूजा से ही बनते हैं श्री राम जी एवं श्री कृष्ण जी की पूजा ,दुर्गा जी की पूजा हनुमान जी की पूजा तथा शिव जी की पूजा श्री गणेश जी आदि की पूजा से उनके काम बनते हैं जिसका श्रेय वो अज्ञानवश  भूतों प्रेतों को दिया करते हैं !आखिर वो क्या कहना चाहते हैं कि श्री राम जी एवं श्री कृष्ण जी की पूजा ,दुर्गा जी की पूजा हनुमान जी की पूजा तथा शिव जी की पूजा श्री गणेश जी आदि की पूजा उनके किसी काम की नहीं है ?भूत प्रेत ही काम के हैं ! वस्तुतः भूत प्रेत तो मर चुके प्राणी हैं वो काम करने लायक ही होते तो हर कोई अपने घर के पुरखों के मंदिर घर में ही बना लेता  कि चलो घर के काम ही करेंगे कुछ नहीं तो दूध सब्जी ही ला दिया  करेंगे!

        यदि मान ही लिया जाए कि भूत प्रेतों के पूजन से ही उनके काम बनते हैं तो इसका मतलब क्या हुआ कि देवी देवताओं को छोड़कर भूत प्रेतों का पूजन प्रारम्भ कर दिया जाए ये तो उसी तरह की बात हुई की अपनी पत्नी से अधिक सुंदरी कोई दूसरी स्त्री दिखाई पड़े तो उधर लपक लिया जाए !क्या ये ठीक होगा !क्या हर विषय की कोई न कोई मर्यादा रेखा नहीं होनी चाहिए आखिर उस रेखा का अतिक्रमण करना ही क्यों ?

    जो लोग कहते हैं कि  धर्म के विषय में सबको स्वतन्त्र रहने देना चाहिए जिसका जो मन आवे उसे वैसा करने की छूट होनी चाहिए किन्तु धर्म के विषय में स्वेच्छाचार नहीं चल सकता है और इसकी छूट किसी अन्य धर्म में भी नहीं है तो ऐसी अपेक्षाएँ सनातन धर्म से ही क्यों हैं ?

         दूसरी बात धार्मिक स्वेच्छार की भी सजा भोगनी तो उस धर्म से जुड़े सभी लोगों को पड़ती है आखिर अभी आशाराम का ही प्रकरण था जो लोग उनसे जुड़े थे वो उनका अपना श्रद्धा विश्वास था किन्तु जब उन पर बलात्कार के आरोप लगे तो इसी मीडिया ने सनातन धर्मियों पर क्या क्या आरोप नहीं लगाए महिनों तक पंडित पुजारी साधू संतों को कोसता रहा मीडिया आखिर क्यों ?सनातन धर्म की मान्यताओं पर प्रश्न उठाता रहा मीडिया अाखिर क्यों ?इसीलिए धर्म के मामले में स्वेच्छाचार घातक है ।

      जगद्गुरू शंकाराचार्य श्रद्धेय स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज जी सनातन धर्म के शीर्ष धर्माचार्य हैं इसलिए उनकी कोई भी शास्त्रीय बात सनातन धर्म की बात मानी जानी चाहिए जिस बात से जो असहमत हो वो शास्त्रीय तर्कों के साथ उनके सामने भी अपनी बात रख  सकता है। शंकाराचार्य होने के नाते अपने सनातन धर्म के शास्त्राचार को पाखण्ड के प्रदूषण से मुक्त रखना उनका नैतिक दायित्व है। इससे किसी को ठेस क्यों लगे !

    वैसे भी किसी को  ठेस लगने की यदि इतनी ही परवाह है तो चार करोड़ अनुयायी कम तो नहीं होते उनकी भावनाओं का ध्यान दिए बिना ही क्यों उठा लिया गया आशाराम जी को ! इसी प्रकार से रामदेव अपने अनुयायिओं के साथ राम लीला मैदान में बैठे थे क्यों की गई उन पर अचानक कार्यवाही आखिर उनके समर्थकों के श्रद्धा विश्वास की परवाह क्यों नहीं की गई !कानून के नाम पर देश में पक्ष पात नहीं चलने दिया जाएगा और दमन का भय देकर सनातन धर्मियों के मनोबल को कुचला नहीं जा सकता !सनातन धर्म सबसे पुराना ही नहीं प्रमाणित ज्ञान विज्ञान से ओत  प्रोत आकाशीय ज्योतिष ,आयुर्वेद ,ज्ञान विज्ञान एवं आत्म विद्या से भरपूर सर्वांगीण  धर्म है इतना बहु विशेषता वादी है कोई दूसरा धर्म ! इसलिए सनातन धर्म की जड़ों पर कुठारा घात  करने वालों को धार्मिक विद्वेष की आग में खेलने से बचाया  जाना चाहिए !

       हो सकता है कि सनातन धर्म से जुड़े कुछ धार्मिक लोगों में भी आपसी असंतोष हो किन्तु उन्हें भी सनातन धर्म का विरोधी समझे जाने की भूल नहीं की जानी चाहिए सनातन धर्म एवं शास्त्रीय मान मर्यादाओं की रक्षा के लिए वो भी मर मिटने के लिए तैयार हैं अपने निजी मुद्दों को सनातन धर्म के प्रमुख धर्माचार्य सुलझाने में सक्षम हैं इसलिए उनकी सनातनधर्मी शास्त्रीय  निष्ठा पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए !

      इसलिए सनातन धर्म की परम्पराओं और शास्त्रीय मर्यादाओं से अलग हटकर कोई किसी धर्म को गढ़े किन्तु उसमें सनातन धर्म की परम्पराओं के साथ समानांतरता न हो अन्यथा ये क्लेश समाप्त नहीं होगा हमेंशा के लिए ही बना रहेगा ।

      जो लोग विरोध  प्रदर्शन और पुतला फूँकने पर विश्वास रखते हैं उन्हें सोचना चाहिए कि ये धर्म का मुद्दा है विचारों के आदान प्रदान से ही कोई रास्ता निकलेगा वैसे भी धर्म के मुद्दे में धमक नहीं चला करती है अन्यथा  सनातन धर्मी भी उनकी खुजली छुटाने में सक्षम हैं किन्तु हमारा शास्त्रीय धर्म इसकी अनुमति नहीं देता है इसलिए सनातन धर्मियों के धैर्य की परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए ।

    लोगों की आस्था भगवान का निर्णय नहीं कर सकती !क्योंकि आस्था तो गुण दुर्गुण और स्वार्थ आदि के आधार पर बनती बदलती रहती है तो क्या हम अपने भगवान को भी बदलते या बनाते बिगाड़ते रहेंगे !अभी हाल ही में करोड़ों अनुयायिओं के आस्थाकेंद्र एक बाबा जी बलात्कार के आरोपों में जेल में पड़े हुए हैं ! इसलिए साईं बाबा आज कोई नए तो हुए नहीं हैं जबसे सृष्टि बनी असंख्य संत सिद्ध साधक पहले भी हो चुके हैं किन्तु उन्होंने साधना की और अपने अनुयायिओं को ईश्वर का उपदेश दिया चले गए किन्तु किसी के चमचों ने उन्हें भगवान बनाने की कोशिश नहीं की ! और शायद साईं बाबा जी होते तो ऐसा वो भी पसंद नहीं करते किन्तु उनके चमचे सनातन धर्म की छीछालेदर  करने पर तुले हुए हैं आश्चर्य है कि वो सनातन धर्मियों का भगवान बदलने पर आमादा हैं इसका भारी विरोध किया जाएगा !

        साईं बाबा के समर्थक कान खोल कर सुन लें कि उन्हें जिसे मानना हो मानें किन्तु भगवान शब्द के साथ समझौता नहीं हो सकता ! भगवान शब्द हिन्दुओं का है इसका प्रयोग केवल हिन्दू देवी देवताओं के लिए ही होगा ।हिन्दुओं को इतना कायर न समझा जाए !आखिर हर किसी को भगवान ही क्यों बनाया जाने लगता है मित्रो !कभी किसी को अल्ला या ईसामसीह बनते बनाते सुना है क्या यदि नहीं तो भगवान ही क्यों ?क्या हिन्दू कायर है कमजोर है डरपोक है इसलिए ?किन्तु हिन्दू भी भगवान बनने बनाने का खेल बर्दाश्त नहीं करेगा !पापी लोग किसी को भी भगवान बनने बनाने की बात सोच सकते हैं किन्तु  पुण्यात्मा लोग तो केवल भक्त बनने की ही बात सोचते हैं भगवान बनना बनाना उनके बश में नहीं है ऐसा सोचते हैं वैसे भी पढ़े लिखे विद्वान साधक लोग कलियुग की सोच रखना ही नहीं चाहते क्योंकि जो पुण्य प्रधान जीवन जीने के अभ्यास में लगे हुए हैं उन्हें कलियुग से क्या लेना देना ! पूजा पाठ और धर्म की सोच तो सात्विकी मनोवृत्ति में ही हो सकती है !

  और इसी विषय में पढ़िए हमारे ये लेख भी -
     साईंबाबा को भगवान ही क्यों मान लिया जाए अल्ला और ईसामसीह क्यों नहीं ?   साईंबाबा की मूर्तियों को केवल मंदिरों में ही क्यों रखा जाए !गुरूद्वारे गिरिजाघर और मस्जिदों में क्यों नहीं ?
     जब साईं बाबा के किसी आचार व्यवहार से ये सिद्ध ही नहीं होता है कि साईं बाबा सनातन धर्मी हिन्दू थे तो फिर केवल हिन्दुओं के मत्थे ही क्यों मढ़ा जा रहा है उन्हें ? अगर साईंबाबा see more.....http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/06/blog-post_24.html 

साईंबाबा को भगवान बताने वालों को शास्त्रार्थ की खुली चुनौती !
   अब अयोध्या में श्री राम मंदिर बनने  की जगह साईं राम मंदिर बनेगा  क्या !     
    साईं के नाम पर केवल सनातन धर्म की ही छीछालेदर क्यों की जा रही है किसी मस्जिद में साईं की मूर्ति क्यों नहीं है किसी गुरुद्वारे में साईं की मूर्ति क्यों नहीं है किसी चर्च में साईं की मूर्ति क्यों नहीं है फिर साईं बाबा का  सभी धर्मों में सम्मान कैसे मान लिया जाए !
     दूसरी see  more...http://snvajpayee.blogspot.in/2014/06/blog-post_23.html


 

      



2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

जीन ब्राह्मनोने साई को भगवान बनाया वो शिर्डी के ब्राह्मण मूर्ख है | वो ब्रह्मण सभी हिन्दुओन्को मूर्ख बनराहे है उस साई मंदिर्र मे रुद्राभिषेक /पठाण किया जाता है | जीसासे वह स्थान का देवता रुद्र होता है | नाम साई का मंत्र अघोर ऋषी का देवता रुद्र ब्राह्मनोकी मूर्खता और मुसलमान कि पूजा | मेरा कहना झूट लागता है तो यु ट्यूब पर पूजाविधी देखे |

बेनामी ने कहा…

जीन ब्राह्मनोने साई को भगवान बनाया वो शिर्डी के ब्राह्मण मूर्ख है | वो ब्रह्मण सभी हिन्दुओन्को मूर्ख बनराहे है उस साई मंदिर्र मे रुद्राभिषेक /पठाण किया जाता है | जीसासे वह स्थान का देवता रुद्र होता है | नाम साई का मंत्र अघोर ऋषी का देवता रुद्र ब्राह्मनोकी मूर्खता और मुसलमान कि पूजा | मेरा कहना झूट लागता है तो यु ट्यूब पर पूजाविधी देखे |