मंगलवार, 13 मई 2014

आदरणीय नरेंद्र मोदी जी आपकी विजय के लिए कुछ निवेदनों के साथ आपको बधाई !

मोदी जी !कलम के धनी का आप बहुत सम्मान करते हैं किन्तु छोटे छोटे बच्चों की कलम आज संकट में है !

     आदरणीय  मोदी जी ! आपने एकबार हमसे कहा था कि 'मैं कलम के धनी का बहुत सम्मान करता हूँ' न केवल इतना अपितु आपने  ऐसा किया भी था हमारी किसी पुस्तक के प्रकाशन के लिए आपने अपने मित्र प्रभात जी से हमारा सहयोग करने के लिए फ़ोन करके तुरंत कहा भी था ! इसलिए निजी तौर पर मैं आप जैसे कर्मयोगी राजनेताओं से हमेंशा आशावान रहा हूँ !आज जब लगभग निश्चितप्राय  हो ही गया है आपका प्रधानमंत्री बनना तो आपके इस महत्त्व पूर्ण वाक्य का अनुस्मरण करवाना मैं अपना दायित्व समझा हूँ  कि 'मैं कलम के धनी का बहुत सम्मान करता हूँ ' किन्तु मोदी जी कलम आज संकट में है सरकारी प्रारंभिक शिक्षा की इतनी दुर्दशा है कि उस पर पैसे बहुत खर्च हो रहे हैं भोजन भी दिया जा रहा है कुछ पैसे भी दिए जा रहे हैं शिक्षाधिकारियों और शिक्षकों की अतिविशाल सैलरी भी दी जा रही है किन्तु क्या केवल भोजन बांटने के लिए हो रहा है ये सब !आज सरकारी स्कूलों में शिक्षा शून्य है किन्तु रिजल्ट अच्छा है! मोदी जी !अधिकांश स्थलों में सरकारी शिक्षा पर शून्यता इस सीमा तक हावी है कि कोई भी जन प्रतिनिधि या कोई भी सम्पन्न,व्यक्ति,या कोई भी अधिकारी ,या कोई भी शिक्षा जगत से जुड़ा अधिकारी  और कहाँ तक कहें सरकारी या निगम स्कूलों के शिक्षक भी अपने बच्चों को सरकारी या निगम स्कूलों में नहीं पढ़ाते हैं इस दुर्दशा से भाजपा शासित  राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के निगम स्कूल भी पूर्णतः प्रभावित हैं अतः आपसे निवेदन है कि उबारिए देश को इस कलम संकट से !

   दूसरी बात माननीय पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल जी को अपनी "कारगिल विजय" पुस्तक भेंट करते समय मैंने उनसे प्रार्थनात्मक प्रश्न किया था कि करोड़ों भारतीयों के मन को कैसे मोहित कर रखा है आपने आखिर क्या चमत्कार है आपके व्यवहार में कि -

 " रो चला था देश देख आपकी विनम्रता को 

                   जब तेरह दिनों का ताज हँसके उतारा था "

      तब हँसते हुए उन्होंने कहा था कि -

       " न भीतो मरणादस्मि केवलम् दूषितो यशः "

  श्रद्धेय अटल जी के इस वाक्य को मैंने अपने स्मृति पटल पर अभी तक उत्टंकित कर रखा है और आज पूर्ण विश्वास से कहा जा सकता है कि उनके यशस शरीर में कहीं कोई खरोंच भी नहीं आने पाई है कभी कभी कुछ क्रूर काँग्रेसी अटल जी के विषय में कुछ अप्रिय बोलने की कोशिश तो करते हैं किन्तु वो बात सुनने वाले श्रोता ही नहीं हैं इसलिए उन बेचारों को भी चुप होना पड़ता है ! 

        अस्तु एक प्रशासक के रूप में आपसे भी अपेक्षा है कि जाति  धर्म समुदाय संप्रदाय एवं स्त्री पुरुष वर्ग जनित भेद भाव से ऊपर उठकर अपने प्रिय  देश वासियों को इतना अपनापन दीजिए ताकि मोदी द्रोही क्रूर काँग्रेसियों समेत उनके  समस्त साथियों की भी मोदी विरोधी बात सुनने के लिए इस देश में खरीदने पर भी उन्हें श्रोता ही न मिलें !

      मोदी जी ! वास्तव में अद्भुत उत्साह है आप में, इन चुनावों में भयंकर परिश्रम आपने किया है ! जीत कब होगी किसकी होगी कितनी होगी अभी तो कयास और अनुमान भर हैं किन्तु वर्तमान समय में दिनों दिन आलसी होते जा रहे युवा वर्ग को  आपने परिश्रम करना सिखाया है न केवल इतना अपितु उससे  भी बड़ी बात यह   है  कि युवा वर्ग आपसे अत्यंत प्रभावित है !ये आपकी सबसे बड़ी जीत है इसकी आपको बहुत बहुत बधाई !और संभावित जीत की बधाई तो है ही !आपकी 

      ईश्वर करे कि आप प्रधान मंत्री बनें किन्तु यदि दुर्भाग्य वश नहीं भी बनते हैं तो आगे बन जाएँगे क्योंकि आप जैसे चरित्रशील परिश्रमी एवं संयमी प्रतिभाओं को अब और अधिक दिन तक रोक कर नहीं रखा जा सकता !आखिर आग की चिनगारी को रुई में लिपेट कर कितने समय रखा जा सकता है ?

     मोदी जी !आपसे समाज को बहुत आशाएँ हैं इसलिए आपसे निवेदन है कि प्रधान मंत्री बनने के लिए यदि बहुमत कम रहे तो बेशक विपक्ष में बैठना किन्तु किसी पार्टी का समर्थन लेने के लिए भाजपा के अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि समाज भाजपा के मूल्यों से जुड़ा है विशेष समझौता करने के लिए नहीं !

       मोदी जी !आपसे मेरा एक निजी स्वार्थ है वो आप प्रधान मंत्री बनकर भी पूरा कर सकते हैं और दुर्भाग्य वश यदि न बने तो भी पूरा कर सकते हैं !

       आज अपने देश में बलात्कार  के मामले बहुत बढ़ गए हैं इससे प्रभावित  लड़कियाँ या महिलाएँ आज बहुत परेशान हैं और बलात्कारों के आरोपी लड़कों या आदमियों को फाँसी जैसी कठोर सजा से उनके परिजन परेशान हैं आखिर उनकी भी पत्नी, माँ ,बहनें और बेटियाँ आदि होती है उनका क्या अपराध होता है किन्तु समाज में जलील उन्हें भी होना पड़ता है और आजीविका की समस्या भी उनके लिए होती है ।

       इसलिए बलात्कारियों  को फाँसी जैसी कठोर सजा से आक्रोशित समाज को क्षणिक राहत भले मिल जाए किन्तु इससे   महिला सुरक्षा की परिकल्पना कैसे की जाए आखिर बलात्कारी के परिजनों में भी तो महिलाएँ होती हैं वो भी इसी समाज की ही अंग हैं मेरा निजी निवेदन है कि बलात्कारी को कोई भी सजा देते समय उनके परिजनों की भी परिस्थिति और मनस्थिति का ध्यान रखा जाए !

      समाज में आपके बढ़ते प्रभाव से एक बात और स्पष्ट होने लगी है कि आपकी अपील का असर भी समाज के युवा और युवतियों पर पढ़  सकता है इस प्रकार से यदि आपकी प्रेरणा से प्रभावित होकर महिलाओं की सुरक्षा का दायित्व युवा वर्ग स्वयं सँभाल ले तो ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने में और  अधिक प्रभावी हो सकता है !

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